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रंग ऊदे, रंग पीले
कुछ सजीले कुछ हठीले
हर तरफ आकाश में
बिखरे हुए हैं रंग
आ रहीं हैं दूर से
बह कर हवाएँ फागुनी
और अब उम्मीद बढ़ कर
हो रही है सौ गुनी
रंग सूखे रंग गीले
कुछ हठीले
कुछ सुरीले
हर तरफ आभास के
चटके हुए है रंग
तीन रंगों से रंगा
अपना सजल परिवेश है
धूपिया, रक्तिम, सुनहरा
चम्पई सन्देश है
रंग धानी, रंग नीले
कुछ सुरीले
कुछ नशीले
देख कर संत्रास के
भटके हुए हैं रंग
है धधकती, धुंध चीरे
होलिका की आग
गंध जिसकी देश में
भरने लगी है फाग
रंग कोरे, रंग धूसर
कुछ नशीले
कुछ रंगीले
इन्द्रधनु के पाश में
लिपटे हुए हैं रंग
- निर्मल शुक्ल |