|
गीत गुनगुना
मन |
111
|
सतत शून्य सन्नाटा चहुँदिश
क्यों चुप बैठा मन
कठिन तमस भी कट जायेगा
गीत गुनगुना मन
माना लहरें भँवर भयंकर
धीरज नैया डोले
आशा की पतवार उठा ले
माझी साहस तोले
वैचारिक झंझावातों से
हार न बैठो मनकठिन तमस भी कट जायेगा
गीत गुनगुना मन
थक कर चकनाचूर है फिर भी
बैठ न आँखे मीचे
अविचल नियम प्रकृति का, निशि दिन
चलते आगे पीछे
कहीं 'नित्य' का रथ रूकता है
सोच विहंस मेरे मन
कठिन तमस भी कट जायेगा
गीत गुनगुना मन
तारे घटा टोप में डूबे
'शशि' मेघों ने घेरा
घनीभूत नैराश्य हो चला
मन में डाले डेरा
'पौरुष' को ललकार 'कान्त' कर
नभ से प्रकट 'तडित' मन
कठिन तमस भी कट जायेगा
गीत गुनगुना मन
- श्रीकांत मिश्र कांत |
|
इस पखवारे
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त
में-
कुंडलिया में
पुनर्पाठ
में-
पिछले पखवारे
१ सितंबर
२०१५ को प्रकाशित
हिंदी दिवस विशेषांक
में
गीतों में-
अनिल कुमार वर्मा,
अमित वागर्थ,
अमिताभ त्रिपाठी अमित,
ओमप्रकाश नौटियाल,
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
गीता पंडित,
गोपाल
कृष्ण भट्ट आकुल,
निर्मल शुक्ल,
प्रदीप शुक्ल,
बसंत शर्मा,
भावना तिवारी,
मानोशी,
मालिनी गौतम,
रंजना गुप्ता,
राजेन्द्र वर्मा,
रामशंकर वर्मा,
रामेश्वर प्रसाद सारस्वत,
शशि पाधा,
शशि पुरवार,
शुभम श्रीवास्तव ओम,
संतोष कुमार सिंह,
सौरभ पांडेय,
त्रिलोक सिंह ठकुरेला।
अंजुमन में-
कल्पना रामानी,
संजीव वर्मा सलिल,
सुरेन्द्रपाल वैद्य।
छंदमुक्त में-
अश्विन गाँधी,
उर्मिला शुक्ल,
गंगा प्रसाद शर्मा।
छंदों में-
अशोक रक्ताले,
कल्पना मिश्रा बाजपेयी,
ज्योतिर्मयी पंत,
जय चक्रवर्ती,
प्रभु त्रिवेदी,
परमजीत कौर रीत,
वैशाली चतुर्वेदी,
शिवानंद
सिंह सहयोगी।
| |