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नूर केसर का चमक बेला के
फूलों की
मोहिनी तुझमें लहक बेला के फूलों की
चूम लें मदहोशियों में ज़ुल्फ़, गालों को
है बड़ी नादाँ ललक बेला के फूलों की
लिख रहे हैं डायरी के वर्क़ पर ग़ज़लें
कौन समझेगा कसक बेला के फूलों की
उन चुनींदा पंछियों के बोल मीठे हैं
सीख ली जिनने चहक बेला के फूलों की
ले रही अँगड़ाइयाँ रुत बेकली दिल में
है मदिर सचमुच लचक बेला के फूलों की
देवता आकर ज़मीं पर मौज़ करते हैं
देख ली जबसे झलक बेला के फूलों की
रख दिए दोने में गंगा-आरती निखरी
बस गई जल में महक बेला के फूलों की
जब बहारों के पयम्बर कारवाँ में थे
संग थी उनके गमक बेला के फूलों की
- अश्विनी कुमार विष्णु
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