|
आश्वासनों
के मन्त्र |
|
लिख दिए दीवार पर
आश्वासनों के मन्त्र
सम्भावना की पंक्तियाँ
लिख दीजिये
चाहते ऊँचाइयाँ
ये हाथ बौने
चाटने को मिल रहे
दौने घिनौने
दावतों की
सूचियाँ भी देखिये
वंचकों के बीच में
वंचित बसे
काँटे फँसे हैं जूतियों में
पाँव हैं ठिगने कसे
खुरदरे पैताव
ढीले कीजिए
हैं पतंगें आपकी
ऊँची उड़ीं
हवा है तिरछी
उलटी दिशाओं में मुड़ी
डोर के कुछ पेंच
ऊँचे कीजिये
बंधनों को कर रहे
आप तो निर्बन्ध
प्रस्तावना में लिख दिए
शब्द शब्द निबन्ध
हाशिये पर अफसरों की
नोटिंगें भी देखिये
लम्बे सफर के
हम तुम्हारे हमसफर
प्रहरियों से चलेंगे
हर प्रहर
सामर्थ्य के शस्त्रास्त्र
तीखे दीजिये
- डॉ. मनोहर अभय |
|
|
इस सप्ताह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
हाइकु में-
पुनर्पाठ में-
पिछले सप्ताह
२ फरवरी २०१५ के
अंक
में
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
कुंडलिया में-
पुनर्पाठ में-
| |