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श्री
गणेश
श्री गणेश की बोलो जय
पाठ पढ़ो होकर निर्भय
अगर सफलता पाना है
काम करो होकर तन्मय
सरस्वती
माँ सरस्वती देतीं ज्ञान
ललित कलाओं की हैं खान
जो जमकर अभ्यास करे
वही सफल हो, पा वरदान
माँ
माँ ममता की मूरत है
सबसे प्यारी सूरत है
हँसकर गले लगाती है
लोरी रोज सुनाती है
घर
पिता सूर्य, माँ है चंदा
ध्यान सभी का धरते हैं
मैं तारा, चाँदनी बहिन
घर में जगमग करते हैं
गुड्डा-गुड़िया
गुड्डा-गुड़िया साथ रहें
ले हाथों में हाथ रहें
हर गुत्थी को सुलझाएँ
कभी न झगड़ें, मुस्काएँ
- संजीव सलिल |