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अभिव्यक्ति-तुक-कोश

१५. ९. २०१४

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दिवंगत पिता के लिये

     

१)
सूरज के साथ-साथ
सन्ध्या के मंत्र डूब जाते थे,
घंटी बजती थी अनाथ आश्रम में
भूखे भटकते बच्चों के लौट आने की,
दूर-दूर तक फैले खेतों पर,
धुएँ में लिपटे गाँव पर,
वर्षा से भीगी कच्ची डगर पर,
जाने कैसा रहस्य भरा करुण अन्धकार फैल जाता था,
और ऐसे में आवाज़ आती थी पिता
तुम्हारे पुकारने की,
मेरा नाम उस अँधियारे में
बज उठता था, तुम्हारे स्वरों में।
मैं अब भी हूँ
अब भी है यह रोता हुआ अन्धकार चारों ओर
लेकिन कहाँ है तुम्हारी आवाज़
जो मेरा नाम भरकर
इसे अविकल स्वरों में बजा दे।

(२)
'धक्का देकर किसी को
आगे जाना पाप है'
अत: तुम भीड़ से अलग हो गए।

'महत्वाकांक्षा ही सब दुखों का मूल है'
इसलिए तुम जहाँ थे वहीं बैठ गए।
'संतोष परम धन है'
मानकर तुमने सब कुछ लुट जाने दिया।

पिता! इन मूल्यों ने तो तुम्हें
अनाथ, निराश्रित और विपन्न ही बनाया,
तुमसे नहीं, मुझसे कहती है,
मृत्यु के समय तुम्हारे
निस्तेज मुख पर पड़ती यह क्रूर दारूण छाया।

(३)
'सादगी से रहूँगा'
तुमने सोचा था
अत: हर उत्सव में तुम द्वार पर खड़े रहे।
'झूठ नहीं बोलूँगा'
तुमने व्रत लिया था
अत:हर गोष्ठी में तुम चित्र से जड़े रहे।

तुमने जितना ही अपने को अर्थ दिया
दूसरों ने उतना ही तुम्हें अर्थहीन समझा।
कैसी विडम्बना है कि
झूठ के इस मेले में
सच्चे थे तुम
अत:वैरागी से पड़े रहे।

(४)
तुम्हारी अन्तिम यात्रा में
वे नहीं आए
जो तुम्हारी सेवाओं की सीढ़ियाँ लगाकर
शहर की ऊँची इमारतों में बैठ गए थे,
जिन्होंने तुम्हारी सादगी के सिक्कों से
भरे बाजार भड़कीली दुकानें खोल रक्खी थीं
जो तुम्हारे सदाचार को
अपने फर्म का इश्तहार बनाकर
डुगडुगी के साथ शहर में बाँट रहे थे।

पिता! तुम्हारी अन्तिम यात्रा में वे नहीं आए
वे नहीं आए

- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इस सप्ताह
पितृपक्ष के अवसर पर पिता को
समर्पित विशेषांक में

गीतों में-

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अनूप अशेष

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अश्विनीकुमार विष्णु

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ओमप्रकाश तिवारी

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जय चक्रवर्ती

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जहीर कुरैशी

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कल्पना रामानी

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कृष्णनंदन मौर्य

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कुँवर बेचैन

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पंकज परिमल

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पवन प्रताप सिंह पवन

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प्रदीप शुक्ला

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मधुकर अष्ठाना

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माहेश्वर तिवारी

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योगेन्द्र वर्मा व्योम

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रमेश तैलंग

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रामशंकर वर्मा

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रविशंकर मिश्र रवि

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विष्णु विराट

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शशि पुरवार

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शीलेन्द्र सिंह चौहान

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सीमा अग्रवाल

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला

अंजुमन में-

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ओमप्रकाश यति

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गिरीश पंकज

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राजकुमार महोबिया

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सुरेन्द्रपाल वैद्य

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सुवर्णा दीक्षित



 

छंदमुक्त में-

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अनिल कुमार मिश्र

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अनिल जनविजय

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आभा खरे

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भारतेन्दु मिश्र

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मंजुल भटनागर

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प्रज्ञा पांडे

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प्रेम मोहन

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विजय शेखर चतुर्वेदी

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विपुल शुक्ला

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सरस दरबारी

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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सुशांत सुप्रिय

क्षणिकाओं में-

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राजशेखर व्यास

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शशि पाधा

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सुशीला शिवराण

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हेमंत कुमार

दोहों में-

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ज्योतिर्मयी पंत

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रामशिरोमणि पाठक

हाइकु में-

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उमेश मौर्य

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मीनाक्षी धन्वंतरि

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सरस्वती माथुर


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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी