वेणु की गुंजार है
मधुरास की रसधार
कंस की कारा नहीं संसार
क्रांति भी हैं कृष्ण
कान्हा शान्ति-पारावार
कृष्ण जन्मे रीतियाँ
पाईं नए आकार
कृष्ण केवल लोकमंगल
कृष्ण केवल प्यार
प्रकृति का हैं रूप राधा
कृष्ण की हैं शक्ति
इन्हीं दोनों का मिलन ही
नित्यलीला सृष्टि
प्रेम जिसका भाव है
आह्लाद जिसका सार
भक्ति में आनंद है
और भोग में जीवन
योग है निष्काम रहकर
कर्म का पालन
धर्म के उत्थान हित
हरि ने लिया अवतार
- अश्विनी कुमार विष्णु |