नभ तक उड़े
गुलाल सजीली मथुरा में
वासंती ब्रज धाम छबीली मथुरा में
हुरियारों की भीड़ मचे जब
सबके माथे पाग सजे जब
झर झर बरसे रंग केसरी
पैरों में पाजेब बजे जब
कहीं लाठियाँ हाथ कहीं पर
ग्वाले ताने ढाल
रंगीली मथुरा में
गली गली में
फाग टोलियाँ
गाली रसिया रार झिड़कियाँ
सूरदास के रचे पदों को
डूब गा रही गान गोपियाँ
बरसे मधुर धमार रात भर
भीगें ब्रज के ग्वाल
सुरीली मथुरा में
बरसाना
नंदगाँव गोवर्धन
किसको भूल सके वृंदावन
जहाँ बहें दधि दूध की नदियाँ
जहाँ बिलोएँ सखियाँ माखन
छप्पन भोग छकें मनमोहन
बँटें प्रसाद के थाल
रसीली मथुरा में
-पूर्णिमा
वर्मन |