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नन्हीं चिड़िया सोच रही है
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नन्ही चिड़िया सोच रही है
कैसे भरूँ उड़ान
आसमान में झुण्ड लगा है
गिद्धों, बाज़ों का
वहशीपन क़ायम है घर के ही
दरवाज़ों का
ऐसे में कैसे मुमकिन है
अपनों की पहचान
क़दम-क़दम पर अनहोनी के
अपने ख़तरे हैं
किया भरोसा जिस पर, उसने ही
पर कतरे हैं
हर दिन हर पल की दहशत अब
छीन रही मुस्कान
ऊँचाई छूने की मन में हौंस
मचलती है
किन्तु सियासत रोज़ सुनहरे
स्वप्न कुचलती है
दीवारों पर लिखा हुआ है
'मेरा देश महान'
- योगेन्द्र वर्मा व्योम |
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