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अन्तर्मन
में
राम जगाएँ
सदाचार हो, नैतिकता हो
कर्म, विचारों में शुचिता हो
शुभ संकल्पों के चौरे पर
सत्य, सनातन
दीप जलाएँ
दृढ़ इच्छा, विश्वास भरा मन
और प्रखर हो चिंतन, दर्शन
संघर्षों के संग मधुरमय
जीवन को
आदर्श बनाएँ
हृदय पावन और सदय हो
भीतर, बाहर से निर्भय हो
त्रेता के रावण को भूलें,
अहंकार,
पाखंड जलाएँ
-कृष्णकुमार तिवारी किशन |