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कष्ट
कटे,खुशहाली आई,
जन्मे ऐसे
कृष्ण-कन्हाई
1
भादों कृष्ण पक्ष में जन्मे
घोर अष्टमी के उस तम में
भी जैसे
उजियाली छाई
1
माता-पिता बंद थे, छूटे
कारागृह के ताले टूटे
गोकुल में
बज उठी बधाई
1
वन-वन घूमे, गाय चराई
चढ़ कदम्ब पर वेणु बजाई
रास किया
ब्रजभूमि बचाई
1
दुखी प्रजा को दिया सहारा
दुष्ट कंस मामा को मारा
राक्षसकुल
पर आफ़त आई
1
चीर दुशासन ने जब खोला
भरी सभा में कोई न बोला
द्रुपदसुता
की लाज बचाई
1
भद्रजनों को गले लगाया
दुष्टजनों को मार मिटाया
भगवन की
पदवी तब पाई
1
-राममूर्ति सिंह अधीर
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