प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

८. ७. २०१३

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

1
जीवन

-----------

जीवन तेरा   
जीवन मेरा
इसका कौन चितेरा ?

संघर्षो की बेला है
दुःख और सुख का खेला है
कभी चला हैं साथ तुम्हारे
कभी अकेला मेला है
क्षण
क्षण
हर क्षण
रोया ये मन
बनकर संत कबीरा…

निश्छल जल सा
ये अविरल सा
बहता जाये कलकल...
झरता जाए पल पल
कभी झरनों से
कभी नयनों से
प्राणो की अपनी ही व्यथा है
'झर' जाना जीवन की प्रथा है
किसी के हैं अनुबंध बरस के
कोई क्षणभर ठहरा…

- अमन दलाल

इस सप्ताह

गीतों में नई हवा-

bullet

अमन दलाल

अंजुमन में-

bullet

लक्ष्मण

छंदमुक्त में-

bullet

ब्रजेश नीरज

हाइकु में-

bullet

योगेन्द्र वर्मा

पुनर्पाठ में-

bullet

सुरेन्द्रनाथ मेहरोत्रा

पिछले सप्ताह  
१ जुलाई २०१३ के चंपा विशेषांक में

गीतों में- खिले पुष्प फिर चंपा के, चंपा और चमेली कह दूँ. चंपा का बूटा, चंपा : दो छोटे गीत, चंपा ने जब, चंपा की कलिका मुस्काई, चंपे की डाली, चंपा के फूल, डाली चंपा की, फूल चंपा के सजाकर, सोन चंपा महकती रही रात भर, छंदमुक्त में-आस्था की सुगंध, चंपा दीवार के पार, चंपई लम्हे, आँगन की चंपा, तेरे आने की खबर से, चंपा के फूल (पाँच कविताएँ), मुक्तक में- कली एक चंपा की, बोली चंपा इतरा के जरा, भीना भीना चंपावन, ये चंपा के फूल, तथा अन्य रचनाएँ।

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Google
Loading

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी
 

 

१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०