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१०. ६. २०१३

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गीत बन गया

 

 

 

 

 

 

 

 

 

चित्त में प्रमोद के प्रसून खिल गये
या कि पीर का हुआ प्रवाह
गीत बन गया

सुखमयी प्रसंग, कारुणिक व्यथाओं के
अंश छंद में पिरो दिये कथाओं के
लेखनी की तूलिका ने
शब्द-चित्र में
भर दिये अनेक रंग कल्पनाओं के

वेदना के
कंटको से हाथ छिल गये
या प्रसन्नता हुई अथाह
गीत बन गया

काव्य-सिंधु के बहाव का सतत् सृजन
भाव के प्रदीप में प्रभा का प्रस्फुटन
हर्ष के हों, या विषाद
के हों गीत हैं
साधना को भक्ति भावना का आचमन

प्राण को
उमंग के प्रतीक मिल गये
या के दग्ध मन दिया कराह
गीत बन गया

- देवल आशीष

इस सप्ताह

गीतों में-

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 देवल आशीष

अंजुमन में-

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अरुण तिवारी अनजान

दिशांतर में-

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विनोद पासी हंसकल्प

जनक छंद में-

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ज्योतिर्मयी पंत

पुनर्पाठ में-

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उषा वर्मा

पिछले सप्ताह
३ जून २०१३ के अंक में

गीतों में-
आचार्य संजीव सलिल

अंजुमन में-
उषा यादव 'उषा'

नई हवा में-
सुदेशना रूहान

कुंडलिया में-
सुभाष मित्तल सत्यम

पुनर्पाठ में-
मीनाक्षी धन्वन्तरि

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी

 

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