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1आँगन खिला
पलाश |
श
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हारे-थके प्रतीक्षित
क्षण ने पाया फिर आभास, तुम्हारे आने से
और नयी आकृति ने देखा, आँगन
खिला पलाश
तुम्हारे आने से
1
बुनते-बुनते
गीत मधुरतम खुशियाँ डोल गयी
पुरवाई चुफ से आकर खिडकी खोल गयी
उजला हो आया द्वार की
चौखट का विश्वास
तुम्हारे आने से
1
एक कथानक
चलते-चलते यों इतिहास बना
जैसे पत्ता अनुभव पाकर नव मधुमास बना
गंधायित फूलों ने चाहा
एक खुला आकाश
तुम्हारे आने से
1
उभर गये
सब चित्र, दृष्टि के रंग हुए गहरे
सुधियों के रूपायित मुखड़े पलक-कूल ठहरे
संज्ञायित हो गया रूप हर
करके सही तलाश
तुम्हारे आने से
1
- तारादत्त निर्विरोध |
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इस
सप्ताह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त में-
कुडलिया में-
पुनर्पाठ में-
पिछले सप्ताह
२५ मार्च २०१३ के होली
विशेषांक में
गीतों में-
कुमार रवीन्द्र,
अनिल
कुमार वर्मा,
अशोक
रावत,
अवनीश सिंह चौहान,
ओम
प्रकाश तिवारी,
कमलेश कुमार दीवान,
डॉ.
बच्चन पाठक सलिल,
तारादत्त-निर्विरोध,
नचिकेता,
नितिन जैन,
भारतेन्दु मिश्र,
रविशंकर रवि,
रोहित रुसिया,
आचार्य संजीव
सलिल,
सीमा
अग्रवाल,
सुवर्णा दीक्षित,
सुरेन्द्र शर्मा।
दोहों में-
ज्योतिर्मयी पंत,
ज्योत्सना शर्मा,
धर्मेन्द्र कुमार सिंह,
शशि
पुरवार,
हलीम आईना,
त्रिलोक
सिंह ठकुरेला। अंजुमन में-ओम नीरव,
कल्पना रामानी,
पद्मा मिश्रा,
रघुनाथ मिश्र। छंदमुक्त
में-
परमेश्वर फुँकवाल,
मीना
चोपड़ा,
स्वाती भालोटिया,
छंद
में-
अश्विनी कुमार विष्णु,
नवीन चतुर्वेदी
और
सत्यनारायण सिंह।
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