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लाई कौन सँदेश यहाँ फिर
मोर-पंखिया शाम
कण-कण में बिखराया किसने,
मीत तुम्हारा नाम
सिंदूरी एहसास हुए फिर
वीरबहूटी मन
ईंगुर-ईंगुर चाह नवेली
संगमरमरी तन
किसलय-किसलय यौवन चर्चित, मृदुल संदली शाम
कण-कण में बिखराया किसने,
मीत तुम्हारा नाम
जमी पीर चिरजीवी मन में
आँखें भर सागर
वासन्ती मनुहार भरी
साँसें है नट-नागर
जल-तंरग सी चितवन तेरी अंग अंग अभिराम
कण-कण में बिखराया किसने,
मीत तुम्हारा नाम
दिप-दिप होती रही रात भर
जुगनू भरी हथेली
सिहर-सिहर जाती हो जैसे
दूल्हन नई नवेली
चन्द्रहास मुस्कान तुम्हारी बन्धन ललित ललाम
कण-कण में बिखराया किसने,
मीत तुम्हारा नाम
--निर्मला साधना |