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भाई बहन |
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तू चिंगारी बनकर उड़ री
जाग-जाग मैं ज्वाल बनूँ
तू बन जा हहराती गंगा
मैं झेलम बेहाल बनूँ
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आज बसन्ती चोला तेरा
मैं भी सज लूँ लाल बनूँ
तू भगिनी बन क्रान्ति कराली
मैं भाई विकराल बनूँ
1
यहाँ न कोई राधारानी
वृन्दावन बंशीवाला
तू आँगन की ज्योति बहन री
मैं घर का पहरे वाला
1
बहन प्रेम का पुतला हूँ मैं
तू ममता की गोद बनी
मेरा जीवन क्रीडा-कौतुक
तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी
1
मैं भाई फूलों में भूला
मेरी बहन विनोद बनी
भाई-की-गति-मति-भगिनी-की
दोनों मंगल-मोद बनी
1
यह अपराध कलंक सुशीले
सारे फूल जला देना
जननी की जंजीर बज रही
चल तबियत बहला देना
भाई एक लहर बन आया
बहन नदी की धारा है
संगम है गंगा उमड़ी है
डूबा कूल-किनारा है
1
यह उन्माद बहन को अपना
भाई एक सहारा है
यह अलमस्ती एक बहन ही
भाई का ध्रुवतारा है
1
पागल घड़ी बहन-भाई है
वह आजाद तराना है
मुसीबतों से बलिदानों से
पत्थर को समझाना है
1
- गोपाल सिंह नेपाली |
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इस सप्ताह
रक्षाबंधन के अवसर पर
गीतों में-
छंदमुक्त में-
दोहों में-
कुंडलियों में-
अंजुमन में-
छोटी कविताओं
में-
पिछले सप्ताह
३०
जुलाई २०१२ के अंक में
गीतों में-
कल्पना रामानी,
अवनीश सिंह चौहान,
अनिल कुमार वर्मा,
अश्विनी कुमार विष्णु,
कमलेश कुमार दीवान,
डॉ.
जगदीश व्योम,
निर्मला जोशी,
पूर्णिमा वर्मन,
बीनू
भटनागर,
महेन्द्र भटनागर,
राजा
अवस्थी,
शशिकांत गीते,
संध्या सिंह
दोहों में-
अश्वनि शर्मा,
अशोक
रक्ताले,
ज्योत्सना शर्मा,
ज्योतिर्मयी पंत,
मीना
अग्रवाल,
राजेश कुमार झा,
रामशंकर वर्मा,
शरद
तैलंग
छंदमुक्त में-
उर्मिला शुक्ला,
नरेश
सक्सेना,
भोलानाथ त्यागी,
पूर्णिमा वत्स,
मनजीत ठाकुर,
लक्ष्मी दत्त तरुण
अंजुमन में-
अजय
अज्ञात,
प्रमोद लाल,
रमेशचंद्र आरसी,
श्यमाल सुमन,
सिया
सचदेव
कुंडलिया में-
प्रभु
दयाल,
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
हाइकु में-
सुशीला शिवराण,
डॉ.
सरस्वती माथुर,
घनाक्षरी में-
सीमा
अग्रवाल
अन्य पुराने अंक
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