सूरज फिर
से हुआ लाल है
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आँगन और देहरी के झगड़े
अब तो आम हुए
सारे घर को हमें मनाते
सुबहो-शाम हुए
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तेज हवा के
झोंके पल में घर को बाँट गये
दरवाजों को दीमक-घुन गेहूँ-सा चाट गये
सूख गया आँगन का बिरवा,
हम बेनाम हुए
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कोई कहता
है कल से ही पानी नहीं मिला
आपस-के-झगड़े-में-कब-से-चूल्हा-नहीं-जला
छोटी - छोटी बातें लेकर
हम बदनाम हुए
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पैसों के
झगड़े में कोई इतना रूठ गया
नाते रिश्ते दूर हुए और साथी छूट गया
मंदिर की चौखट से ही
बनवासी राम हुए
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-सुरेन्द्र शर्मा |