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  १६. ४. २०१२

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1सुरज देवता आए

111111111111

सुरज देवता आये
जंगल-घाट सिहाये

धूप आरती हुई
गंध के पर्व हुए दिन
ओस-भिगोई
बिरछ-गाछ की साँसें कमसिन

हरी घास ने
इन्द्रधनुष हैं उमग बिछाये

बर्फ पिघलने लगी
नदी-झरने भी लौटे
हटा दिये किरणों ने
अपने धुंध-मुखौटे

भौरों ने हैं
गीत फागुनी दिन-भर गाये

पीली चूनर ओढ़
हवा ने रंग बिखेरे
व्यापे घर-घर
सरसों के रँग-रँगे उजेरे

ऋतु फगुनाई
बूढ़े बरगद भी बौराये

कुमार रवीन्द्र

इस सप्ताह

नवगीत की पाठशाला से-

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चुने हुए गीत

अंजुमन में-

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श्यामल सुमन

दिशांतर में-

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अनिल प्रभा कुमार

कुंडलिया में-

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ओम प्रकाश तिवारी

पुनर्पाठ में-

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संजीव गौतम

पिछले सप्ताह
अप्रैल २०१२ के अंक में

गीतों में-

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कल्पना-रामानी

अंजुमन में-

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हरेराम समीप

नई हवा में-

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मयंक कुमार वैद्य

ताँका में-

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रामेश्वर कांबोज हिमांशु

पुनर्पाठ में-

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यश मालवीय

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
   
 
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