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कम्प्यूटर-रोबोट |
सूरज फिर
से हुआ लाल है
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हम रिमोट से चलने वाले
कम्प्यूटर-रोबोट।
धरती पर हैं पाँव
और हम
अंतरिक्ष में खोए
रठराए हैं
स्वस्थ बीज सब,
उपग्रह पर बोए
कहाँ समय जो ढूँढे कोई
आखिर किसमें खोट।
चुकी बैटरी,
ध्वनियाँ मद्धिम,
सी. पी. यू. गतिहीन
किसी तहलका
डॉट काम पर
भूखे हैं तल्लीन
आँखें सहमी फटी-फटी-सी
और सिले हैं होंठ।
उनके खेल,
जरूरत जितनी
उतनी विद्युत धारा
उनकी ही
मर्जी पर निर्भर
अपना जीवन सारा
बटन दबे औ हम तो छापें
पट-पट अपने वोट।
-शशिकांत गीते |
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इस सप्ताह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त
में-
घनाक्षरी
में-
पुनर्पाठ
में-
पिछले सप्ताह
२६ दिसंबर २०११
के अंक
में
गीतों में-
सजीवन मयंक,
अवनीश सिंह चौहान,
अश्वघोष,
अश्विनी कुमार विष्णु,
कुमार रवीन्द्र,
कृष्ण कुमार तिवारी 'किशन',
जयकृष्ण राय
'तुषार',
पंडित गिरिमोहन
'गुरु',
प्रभु दयाल,
भारत भूषण,
मधुकर अष्ठाना,
माहेश्वर तिवारी,
शशि पाधा
छंदमुक्त में-
अनिता कपूर,
नूतन व्यास,
ज्योत्सना शर्मा,
परमेश्वर फुँकवाल,
पूर्णिमा वर्मन,
श्रीकांत कान्त,
सतपाल ख्याल,
संध्या सिंह,
सरस्वती माथुर
अंजुमन में-
अनिल वर्मा,
कुमार अनिल,
धर्मेन्द्र कुमार सिंह सज्जन
छोटे छंदों के अंतर्गत, क्षणिकाओं में-
उमेश महादोषी,
निखिल आनंद गिरि,
भावना सक्सैना। दोहों में-
मीना
अग्रवाल,
कल्पना रामानी, कुंडलियों
में-
दिव्यदृष्टि
अन्य पुराने अंक
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