सूरज फिर
से हुआ लाल है
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बहुप्रतीक्षित सपनों का
सौदागर आया
पाहुन बनकर नया वर्ष
सबके घर आया
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आँगन आँगन
अभिनंदन के, चौक सजाए
सबको ऐसा लगे, कोई अपने घर आए
जीवन में फिर कोई स्वर्णिम
अवसर आया
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नए वर्ष का
सूरज, सबको बाँटे सोना
हर बच्चे को मिले खेलने नया खिलौना
नया समय अब पहले से
कुछ बेहतर आया
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बुझी हुई
आँखों में, सपने जाग उठे हैं
गहन तिमिर में जैसे दीपक राग उठे हैं
प्यासों के अधरों तक चलकर
सरवर आया
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समय समंदर
में हम सब, बहते जाते हैं
गहराई में गए वही, मोती पाते हैं
समय पृष्ठ पर सूरज कर
हस्ताक्षर आया
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-सजीवन मयंक |