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२५. ७. २०११
अंजुमन । उपहार । काव्य संगम । गीत । गौरव ग्राम । गौरवग्रंथ । दोहे । पुराने अंक । संकलन । अभिव्यक्ति हाइकु । अभिव्यक्ति । हास्य व्यंग्य । क्षणिकाएँ । दिशांतर । नवगीत की पाठशाला
चल चलें इक राह नूतन
चल चलें इक राह नूतन भय न किंचित हो जहाँ पर पल्लवित सुख हो निरंतर अब लगाएँ हम वहीं पर बन्धु - निज आसन द्वेष - ईर्ष्या को न प्रश्रय दुर्गुणों की हो पराजय हो जहाँ बस प्रेम की जय खिल उठे तन मन - नवीन चतुर्वेदी
गीतों में-
नवीन चतुर्वेदी
अंजुमन में-
प्राण शर्मा
छंदमुकत में-
मीनाक्षी धन्वंतरि
हाइकु में-
सुदर्शन प्रियदर्शिनी
पुनर्पाठ में-
उमा असोपा
पिछले सप्ताह १८ जुलाई २०११ के अंक में
गीतों में- विष्णु सक्सेना
अंजुमन में- डॉ. नमन दत्त
विज्ञान कविताओं में- संतोषकुमार सिंह
मुक्तक में- श्यामल सुमन
पुनर्पाठ में- उदय प्रकाश
अन्य पुराने अंक
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