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मखमली
स्वेटर |
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उड़ चला है दिन
लगाए धूप वाले पर
याद फिर बुनने लगी है
मखमली स्वेटर
गुदगुदी करने
लगीं जब से गुलाबी सर्दियाँ
नाचती हैं अनमनी होकर तभी से उँगलियाँ
गुनगुने दो नर्म गोले ऊन के लेकर
याद फिर बुनने लगी है
मखमली स्वेटर
एक उल्टा
एक सीधा और उसके बाद
हर सलाई ने बुनी है एक मीठी याद
नींद के हाथों सुनहरा झुनझुना देकर
याद फिर बुनने लगी है
मखमली स्वेटर
धीरे-धीरे
घट रहे हैं रात के फन्दे
पोरूओं ने छू लिए दिनमान के कन्धे
आँख में आकाश के सारे सितारे भर
याद फिर बुनने लगी है
मखमली स्वेटर
- डॉ. कीर्ति काले
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