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धूप से
बातें करें |
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कल करेंगे
जो भी करना
आज तो बस धूप से बातें करें
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एक मुद्द्त बाद तो
यह लाजवंती
द्वार आई है
प्यार में डूबे हुए
कुछ गुनगुने संवाद
अपने साथ लाई है
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क्या कहेगा कल जमाना
सोचकर हम क्यों डरें
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क्या कभी भी एक क्षण
अपनी खुशी से
भोग पाते हैं
रोटियों के व्याकरण में ही
समूचा दिन गँवाते हैं
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इस नियोजित भूमिका को
कल तलक सारांश के घर में धरें
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- अश्वघोष
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