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अरविंद चौहान के
वसंत हाइकु
 


रंगे पलाश
सरसों हुई पीली
इन्द्रधनुष।

सरसों झूमी
वसुधा ने ओढ ली
पीली चुनरी।

झूमे अमिया
समीर छेडे तान
गाये कोयल।

पतंग चली
आकाश से देखने
बसंती धरा।

१५ फरवरी २०१०
  सुमन कहें
पराग भरे हम
गूंजो तो भौंरों
 

परी तितली
फूल फूल ले जाये
प्रेम संगीत

उन्मुक्त भौरें
सुरभित तरंग
झूमें सुमन

सुर्ख धरती
पलाश या रुधिर
किसे है पता

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