दिखाना तुम साँझ
तारे को तुम मुक्त पाँखी
की तरह उड़ना
लहरों की तरह
खेलना चट्टानी तट से
देश-देशावर में सुगंध की तरह
फैली रहना तुम
मेरा प्रेम तुम्हें बाँधेगा
नहीं
वह आसमान बनेगा
तुम्हारी उड़ान के लिए
तुम्हारे स्वप्न के लिए नींद
तुम्हारी गति के लिए प्रवाह
तुम्हारी यात्रा के लिए प्रतीक्षा
प्रिय तुम
अपनी ही खुशबू में खिलना
अपनी ही कोमलता में
दिखना तुम साँझ तारे को
मेरा प्रेम लौटा देगा तुम्हें
सुदूर किसी नदी के किनारे छूटा
तुम्हारा कैशोर्य
वह तुम्हें आगत युगों तक ले
जाएगा
भव्यता के, सौंदर्य के
उस महान दृश्य तक
जो तुम खुद हो
और जिसे मैंने
जीवन भर निहारा है
अपने एकांत में!
तुम्हारे वसंत
का प्रेमी
मैं तुम्हारे वसंत का प्रेमी
तुम्हारी ऋतु का गायक हूँ
तुम कहीं भी जाओ
तुम्हारे होने की खुशबू
मुझ तक आती रहेगी
हवाएँ तुम्हारे गीत बाँधकर
दिशाओं के हर कोने से
मुझ तक लाएँगी
मैं तुम्हारे खिलाए फूलों में
तुम्हारी उँगलियों का स्पर्श चूमूँगा
तुम्हारी पलक छुऊँगा
तुम्हारे स्वप्न से भरी कोपलों में
झरनों के निनाद में
तुम्हारी हँसी गूँजेगी
पलाश वन को निहारेंगी मेरी आँखें
जो रंगा है
तुम्हारी काया की रंगत में
मैं तुम्हें खोजने
देशावर भटकूँगा
तुम मुझे भूलना मत
लौटना हर बार
मैं तुम्हारी राह तकूँगा...
मैं तुम्हारे वसंत का प्रेमी
तुम्हारी ऋतु का गायक हूँ! |