सर्दी की ऋतु आ गई, निकले स्वेटर, कोट
मौसम से बचना ज़रा, कर ना दे ये चोट
कर ना दे ये चोट, ताक में है कोरोना,
रखना हरदम साफ, घरों का कोना कोना
मफलर, टोपा, शॉल, गरम हो अपनी वर्दी
ठण्डी चीज़ें त्याग, कटेगी अच्छी सर्दी
मैथी, पालक मूलियां, बथुआ मक्का स्वाद
इनके सर्दी में सदा, रहें पराठे याद
रहें पराठे याद, टमाटर सूप बनायें
इनका सेवन करे, शीत को दूर भगायें
सबको बहुत पसन्द, वृद्ध हों या हों बालक
गुणकारी है बहुत , शीत में मैथी, पालक
सूरज दादा ने किया, हमें बहुत हैरान,
मई, जून में वे बड़े, लगते थे शैतान
लगते थे शैतान, क्रोध अपना दिखलाते
इनके डर से लोग, घरों से निकल न पाते
किंतु बदल अब रूप, शीत में सबसे ज़्यादा
बाँट रहे हैं प्यार, ढेर सा सूरज दादा
- शरद तैलंग
१ दिसंबर २०२०