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सर्दी
का दरबार |
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दुनिया में
अब ठंड की, आयी है सरकार
सूरज भी मद्धिम हुआ, ताप न्यूनतम पार
सूर्य हुआ है लापता, लेकर सारी धूप
सर्दी से बच जाएगा, गरम-गरम पी सूप
धुंध -कोहरे में लगा, सर्दी का दरबार
छाया सारे दिन रहा, बस मौसमी बुखार
ठंड बढ़ा निज दायरा, पहुँची दुनिया पास
सहमा पारा है खड़ा,अलसायी हर श्वास
शीत- लहर के कहर से, घायल पशु-इंसान
सरहद पर रक्षा करे, सीना तान जवान
ठंड कड़ाके की पड़ी, मुँह से निकले भाप
चिल्ला जाड़े ने दिया, तन को कंपन-श्राप
शाल, रजाई की सखी, छायी अजब बहार
मूँगफली गरमा-गरम, बिके मॉल, बाजार
मौसम सर्दी का करे, सुबह -शाम उत्पात
आसमान से हो रही,पाले की बरसात
गुनगुन करती है सुबह, थकी-थकी-सी शाम
ओस गिराती रात में, ठिठुरे सारे धाम
करे बर्फबारी प्रकृति, जख्मी होते खेत
हिमयुग जैसे आ गया, फैली चादर श्वेत
हिमकण लाते मुश्किलें, आफत आती द्वार
वादी में लगते कहीं, मस्ती के त्यौहार
- डॉ मंजु गुप्ता
१ दिसंबर २०२०
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