विजयदशमी की कविताओं का संकलन
 

 

हे मानस के राम

हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है
आज हृदय के नंदनवन में
रचा सत्य का विजय पर्व है
देखो नेह भरे दीपक में
राम राज्य का सुभग–सर्ग है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है

झिलमिल दीप जलाए आँखें
राह तुम्हारी ताक रही है
आज नए युग की परिभाषा
चरित तुम्हारा माँग रही है
आज तुम्हारे दरस परस को
लगा आस हर जीवन जन है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है

कितनी बार जलाए रावण
मिटा नहीं मन का कलंक पर
उत्पातों के बीच फँसा है
आज धर्म इस धरा अंक पर
साथ अगर तुम आओ देखें–
रावण कितना अजर–अमर है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है

- जया पाठक


 

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