|
रावण का था मान
(दोहे)
स्वर्ण जडित लंका बसी रावण का था मान
पवन पुत्र ने फूँक दी जला दिया अभिमान l
रावण का पुतला जला, विजयादशमी-पर्व
परम सत्य विजयी हुआ, हुआ राम पर गर्व l
राम नाम की नाव में, होगा बेडा पार
खो जाओ प्रभु धाम में, यह जीवन का सार l
राम हृदय ने जान ली, वानर दल की भक्ति
मातु सिया की खोज मेँ, सभी लगा दी शक्ति l
विजयी होके राम ने, किया दशानन अंत
देने को आशीष थे, संग में सारे संत ।
मने सदा सद्भाव से, मनभावन त्यौहार
पूज राम को फिर करो, उनकी जयजयकार l
मिटे पाप संताप अब, आया पावन पर्व
रावण बध से मिट गया, उसका सारा गर्व ।
डॉ सरस्वती माथुर |
|