विजयदशमी की कविताओं का संकलन
 

 

दशहरा

अच्छाइयों की जय का ही नाम है दशहरा
हर युग के रावणों का अंजाम है दशहरा

पथ में नयन बिछाये तैयार है अयोध्या
राघव के शुभ मिलन का पैगाम है दशहरा

मेले से ढेर सारी खुशियों की खरीदारी
बच्चों की मीठी मीठी मुस्कान है दशहरा

पुतला जला के कहते हैं मर गया है रावण
लोगों के भोलेपन पर हैरान है दशहरा

दहशत की नफरतों की शोषण की जुल्म की
हर एक बुराई की इक शाम है दशहरा

– रवि शंकर मिश्र रवि


 

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