विजयदशमी की कविताओं का संकलन
 

 

घनाक्षरी

सबको सुहाने वाले, दुख को मिटाने वाले,
कलि को भगाने वाले तुलसी के राम हैं।
नाश के कगार से बचा लिया था भारत को,
मानस के राम का स्वरूप अभिराम है।
एक बार तुलसी ने देखा कृष्ण वंशी हाथ,
मुख से न बोले कुछ, किया न प्रणाम है।
पूछने पै हुलसी के लाल ने सगर्व कहा,
तुलसी का राम तो धनुष धारी राम है।

डा. जगदीश व्योम


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