हर मुश्किल का आपकी, होवे हरदम अंत
जीवन में सुख-शांति का, खिलता रहे वसंत
पीली सरसों देखकर, खेतों में चहुँ ओर
गोरी के सपने जगे, मन में उठे हिलोर
भीनी-भीनी बह रही, खुशबू चारों ओर
मन को जैसे खींचती, अनजानी-सी डोर
सर्दी में गुपचुप रहा, सूरज बना महंत
खुशदिल-सा लगने लगा, आया जहाँ वसंत
उसका ही बस हो सका, सपना हर जीवंत
मन में जिसके भी रहा, खिलता हुआ वसंत
गर्मी बीती, शीत भी, आया अभी वसंत
कब आओगे लौटकर, बोलो मेरे कंत
मन में हमने कुछ कहा, मन बोला कुछ और
मन ही मन में उग गया, सपनों वाला ठौर
हमको बस होता रहा, खुशियों का आभास
तुम आये तो आ गया, जीवन में मधुमास |