सूखी बंजर धरा हरदम
तरसती सावन की बूँदों को
मरुथल में आज यह कैसा
निकला है ख़ास नया फ़रमान
मौसम जताए अजीब गुमान
होनेवाली है बरसात
मौसम की सौगात
शांत नील गगन था अभी
धूप गई, पसरी घनी छाया
अनजान राहें चला सावन
आसमाँ पर अपना डेरा डाल
हवा झंकारती सुर औ' ताल
बादलों की बारात
मौसम की सौग़ात
चित्र कैसे सजाए बादल ने
सुनहरी किरणों ने रंग भरे
इंद्रधनुष यहाँ आज झाँकता
लाल सतरंगी छटा लहराता
दादुर भी मेघ मल्हार गाता
बूँदें करती बात
मौसम की सौग़ात
बरस बरसी बरखा रानी
नूपुर छमछम बूँदें छहराई
सावन मास में, प्यास बुझाने
अमृतघट पिया इस धरती ने
बाने पहने हरियले झीने
मृदु भीनी मुलाक़ात
मौसम की सौग़ात
- संध्या
14 सितंबर 2005
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