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वर्षा महोत्सव

वर्षा मंगल
संकलन

बरखा रानी

 

कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी
घर की छत गलती है जब-जब बरसे पानी

बारिश में लगता है मौसम बड़ा सुहाना
बूँद-बूँद ताल बजाए पंछी गाएँ गाना
मैं सोचूँ, कैसे चूल्हे की आग जलानी

ठंडी-ठंडी बौछारें हैं पवन चले घनघोर
बादल गरजे उमड़-घुमड़ नाचे वन में मोर
मन मेरा सोचे, कैसे गिरती दीवार बचानी

इंद्रधनुष की छटा बिखेरी बरसा पानी जम के
पाँवों में नूपुरों को बाँधे बरखा नाची छम से
मैं खोजूँ वो सूखा कोना जहाँ खाट बिछानी

प्रकृति कर रही स्वागत तेरा कर अपना शृंगार
पपीहे ने किया अभिनंदन गा कर मेघ मल्हार
मैं भी करता स्वागत तेरा भर अँखियों में पानी
आ जा ओ बरखा रानी!
आ जा ओ बरखा रानी!

- हेमंत रिछारिया
23 अगस्त 2005

  

अहा क्या तो बारिश है
(मुंबई में बारिश)

मुंबई की बारिश हरी भरी
पल में तोला पल में माशा
मायावी है ये बारिश
मज़ा तो यह है कि
सड़क के इक तरफ़
बारिश है और दूसरी तरफ़
न बारिश न कीचड़
अचानक
झोंका आया हवा का
झमाझम बरस गए बादल
रस्ते भर गए खढ्ढे दिखते नहीं
देखो! वह आदमी फिसल गया
वह पेड़ गिर गया
ऑटो टकरा गया मारुति से
अचानक सब थम गया
ये बारिश
नाम ही नहीं ले रही रुकने का
पटरियों पर भर गया है पानी
गाडियाँ रुक गई हैं
बावजूद इसके रुकता नहीं
जीवन यहाँ
बारिश को भी आता है
मुंबई में मज़ा
पूरे चार महीने खेलती है
लोगों से आँख-मिचौली

- मधुलता अरोरा
23 अगस्त 2005

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