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वर्षा महोत्सव

 

वर्षा मंगल
संकलन

जादू बारिश

एक जादू है पल-पल बारिश
ख्व़ाब की ताज़ा कोंपल बारिश

सात सुरों का दरिया इसमें
रिमझिम, छम-छम, कल-कल बारिश

एक ही चीज़ के नाम हैं कितने
आँखें, आँसूँ, बादल, बारिश

किसी की खातिर चाँदी-सोना
किसी की खातिर पीतल बारिश

यादों में महफ़ूज़ है अब तक
गाँव की गलियाँ, पीपल, बारिश

कभी-कभी बस्ती से बच कर
बरसी जंगल-जंगल बारिश

आँगन-आँगन नृत्य सजे हैं
बूँदें-बूँदे पायल बारिश

साजन ने परदेस चुना क्यों
कर न डाले पागल बारिश

हर सीने में आग छिपी है
सबको कर दे शीतल बारिश

भीग रहा है खेत में हरिया
जी भर बरसो मंगल बारिश

हम जैसे प्यासों से पूछो
है अमृत, गंगाजल बारिश

-दिनेश ठाकुर
3 सितंबर 2005

  

बारिश

कमल के फूल पर बारिश
नदी के कूल पर बारिश

हवाओं में तरन्नुम-सी
हृदय के शूल पर बारिश

तीज, त्यौहार, झूले हर
खुशी तंबूल पर बारिश

गाँव के घर तलक बरसी
याद की धूल पर बारिश

आँख परदेस में भीगी
समय की भूल पर बारिश

थे लीची आम जामुन चुप
हुई बबूल पर बारिश

बाढ़ में हर तरफ़ डूबी
बहुत मक़बूल पर बारिश

कभी कमतर कभी ज़्यादा
कभी अनुकूल पर बारिश

हमें उसकी ज़रूरत थी
बहुत मशगूल पर बारिश

- पूर्णिमा वर्मन
03 सितंबर 2005

फिर से बारिश

कल ही बरसे थे पागल घन
अब तक गई नहीं है सिहरन
अब क्या फिर से बारिश होगी, किसे भिगोना बाकी है?
अब क्या होना बाकी है?

- कृष्ण बिहारी
3 सितंबर 2005


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