आप जनाब
कीजिए हवाई सर्वेक्षण
शीशे के पीछे से
हमारी स्थिति का लीजिए जायज़ा
दूरबीन आँखों से सटाए
डूब रहे हाथ पैरों को देखिए
तैरते केले के पेड़ -
उस पर सवार हमें देखिए
अंदाज़ा लगाइए बाढ़ की विभीषिका का
और लौट जाइए दिल्ली
संसद में ऊँची आवाज़ में
कीजिए घोषणा -
कुछ करोड़ दुबारा बसाने के
और कुछ मरने के बाद बचे हुओं को मुआवज़ा।
बाढ़ में रुपए पहले भींगते हैं
भारी होते हैं
और फिर डूब जाते हैं!
- भास्कर चौधुरी
9 सितंबर
2001
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