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इक लहर बारिश
 

 

इक लहर बारिश की क्या आई
धँस गया चकरोड
पुलिया ढह गई।

घर बने तालाब
गलियारे नहर
बूँद भर में, डूब–उतराया शहर
इक लहर बारिश की क्या आई
रोड पर जैसे
नदी ही बह गई।

भीड़ फर्राटा
घिसटती जाम में
खास भी कुछ, आ फँसे हैं आम में
इक लहर बारिश की क्या आई
पालिका की पोल
सारी कह गई।

हुईं टापू
रेहड़ियाँ, पैदल–पथों की
आज आमद नहीं ठेलों–खोमचों की
इक लहर बारिश की क्या आई
कीच ही केवल
असर में रह गई।

- कृष्ण नन्दन मौर्य
२१ जुलाई २०१४

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