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रिमझिम के बाद
 

 

गली के नुक्कड़ पे
बारिश की रिमझिम के बाद
उस छोर से आती
छोटी सी नदी में
छपाक-छपाक करते
अधनंगे बच्चे,
डगमगाकर आतीं
कागज़ की छोटी-छोटी कश्तियाँ
पल भर को ताजा कर गईं
स्मृतियाँ
घर/बचपन की।
घर और बचपन
दोनों ही पर्यायवाची शब्द हैं
अस्थायित्व के
बचपन-
हमेशा पास नहीं रहता
सरक जाता है घुटनों के बल
जाने कब?
और घर भी
हमेशा 'घर' होने का एहसास
नहीं दिलाता
हर किसी को।

-सुबोध श्रीवास्तव
२८ जुलाई २०१४

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