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बादल राहत दे रहे |
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मौसम लेता करवटें, फिर
बादल फिर घाम।
चलो बटोही छाँव में, सूरज है उद्दाम।
बादल राहत दे रहे, पवन बबंडर संग।
गर्मी-शीत प्रभाव से, स्वेद
चिपचिपे अंग।
घर-घर कूलर चल रहे, कहिं ए सी सुखधाम।
महनतकश मजदूर को, मिले कहाँ विश्राम।
फिर-फिर आते पाहुने, फुर-फुर झरते आप।
बादल मन शीतल करें, हरते जग परिताप।
पल में लगता घिर गया, पल में फिर उड़ जाय।
ऐसा बादल भेजिये, जो जल को बरसाय।
- हरिवल्लभ शर्मा
२८ जुलाई २०१४ |
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