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बरसात में
 

 

आसमाँ पर छा गई जब बदलियाँ बरसात मेँ
तब से आशंकित हैँ निचली बस्तियाँ बरसात मेँ।

कैद मेँ थीँ कुछ समय से अब रिहा हो जायेँगी
सोचकर खुश हो रहीँ हैँ छतरियाँ बरसात मेँ।

गायकी मेँ और नग्मोँ मेँ यही हमने सुना
याद करतीँ हैँ पिया को युवतियाँ बरसात मेँ।

बस यही मुश्किल बडी है बन्द दरवाज़े रखो
वर्ना घर मेँ घुस पडेँगी मक्खियाँ बरसात मेँ।

बादलोँ की ओट मेँ सूरज भी छुपता फिर रहा
ताव खो बैठीँ हैँ उसकी रश्मियाँ बरसात मेँ।

आग है अन्दर छुपी पर वो भी अब लाचार हैँ
मुश्किलोँ से जल रहीँ हैँ तीलियाँ बरसात मेँ।

जब भी जाना हो कहीं पहले पता कर लीजिये
लेट हो जातीँ हैँ अक्सर गाडियाँ बरसात मेँ।

कुछ मज़ा, कुछ दिक्कतेँ हैँ, लाभ भी, नुकसान भी
जोश है, कुछ दोष, कुछ मजबूरियाँ बरसात मेँ।

छोडकर सब फिक्र खाओ बस पकोडे चाय सँग
ग़र मज़ा मौसम का लेना हो मियाँ बरसात मेँ।

शरद तैलंग
२८ जुलाई २०१४

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