नव-जीवन का
बोध कराने आती है बरसात
कई आशियाँ संग बहाने आती है बरसात
कुम्हलाये से लोग तपिश में घास-पात भी सूखे
हरियाली को पुनः सजाने आती है बरसात
जोश नदी में भर देती है खेतों में मुस्कान
हर जीवों की प्यास बुझाने आती है बरसात
नव-दम्पति से कोई पूछे कितना मीठा मौसम
विरहन खातिर पिया रिझाने आती है बरसात
घूम रहे हैं जुगनू जैसे चलते फिरते तारे
झींगुर का संगीत सुनाने आती है बरसात
पंख झाड़ फिर पंख भिगोना चिड़ियाँ कितनी खुश है
चिड़ियों का संसार बसाने आती है बरसात
इन्तजार में बीज सभी हैं भीतर भरी उमंग
कलियों को भी सुमन बनाने आती है बरसात
-श्यामल सुमन
३० जुलाई २०१२ |