अंसल प्लाजा
के सामने
पीपल का पेड़
नए पत्तो के कपड़े पहने
बारिश में नहा रहा है
सुगापंखी रंग के पत्तों से चूता हुआ पानी
नीचे खड़े प्रेमी युगल को भिंगो रहा है
फिरोजी रंग की ओढनी से टपकता पानी...
लड़की ने कोई कोशिश नहीं की है
निचोड़ने की...
लड़का ताक रहा है
लड़की का भीगा मुख एकटक
पीछे अंसल का कारोबारी साम्राज्य
सामने भीगती गायों का सड़क पर समाजवाद..
ऑटोरिक्शावालों ने खुद को छुपाने की
व्यर्थ की कोशिशें बंद कर दी है
दिल्ली में बारिश बार-बार नहीं आती
बेमौसम ही सही लेकिन
मई के महीने में
जोरदार बूँदों ने कितनों को है भिगोया..
गोया..डर है कि पहले ही हो रही बरसात से
कहीं मॉनसून न कमजोर पड़ जाए
भींगे मौसम में छोटी गोल्ड फ्लेक भी नहीं सुलगती
सुलग रहे हैं बस हम
काले कोलतार पर बहते ताजे साफ पानी का छींटा
बुरा नहीं लग रहा
हाँ, अंसल प्लाजा के सामने जोडे यों मिलते रहें
दिल्ली में बादल यों ही बरसते रहें।
-मनजीत ठाकुर
३० जुलाई २०१२ |