गूँजा चहुँ
दिश मेघ मल्हार
वीणा की झन - झन झंकार
राग -रागिनी मुरली की धुन
पायल की मधुरिम सी रुनझुन
बादल गरजे, चमके बिजुरी
झरनों से झरती जल लहरी
तान -तराने प्यारे - प्यारे
हरे - भरे हैं पत्ते सारे
भर गये सारे ताल-तलैया
बरखा से भीगी पुरवैया
कागज़ की नैया को बहायें
सब बच्चे इत-उत इतरायें
छप-छप कीचड़ में डोले हैं
अपनी हँसीं जल में घोले हैं
माएँ गुस्से में बेहाल
सबकी आँखें लाल लाल
-बीनू भटनागर
३० जुलाई २०१२ |