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सत्ता से चिपके रहने का तू मंत्र अशेष है
गांधी आज तुम्हारा जन्म दिवस है,
राज्य के कार्यालयों में साल भर से धूल फाँकती
तुम्हारी मूर्ति आज साफ़ की जाएगी,
अधिकारियों के लंबे भाषणों के पश्चात,
तुम्हारी मूर्ति पर माला चढ़ाई जाएगी,
रघुपति राघव राजाराम का गायन होगा,
विद्यालयों में प्रभात फेरी निकाली जाएगी,
नगर के पार्क में नेताओं के भाषण होंगे,
तुम्हारे आदर्शों की स्तुति गाई जाएगी।
पर यह देखकर तुम हमारी सोच,
हमारी आस्थाओं के विषय में भ्रमित मत होना,
यह सब तो इसलिए है, क्योंकि
आज के लिए शासन का ऐसा ही आदेश है।
तुम्हारी मृत्यु पर आइंस्टाइन ने कहा था
कि आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही विश्वास करेंगी
कि हाड़-माँस वाला कोई ऐसा व्यक्ति,
इस धरती पर कभी चला था,
सो हम कहाँ विश्वास करते हैं तुम पर?
कहाँ आस्था है हमें तुम्हारे सिद्धांतों पर?
तुमने पचास वर्ष तक हमें
त्याग और अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
हमने पचीस वर्षों में देश को स्वार्थ एवं हिंसा में डुबाया।
पर आज हम मशीन की बुनी खादी का
टिनोपाल से लकलकाता सूट पहिनकर,
तुम्हारा गुणगान करेंगे दोनों हाथ जोड़कर
क्योंकि जनता को भ्रमित करने का यह अस्त्र विशेष है।
तुम तीन गोलियों से मरे थे,
तुम्हारे आदर्शों को हम नित्य तीन बार मारते हैं,
हम रावण को पूजते हैं, राम को नकारते हैं।
तुमने जिन दलितों को हरिजन कह गले लगाया था,
सामाजिक समरसता का बीड़ा उठाया था,
आज उनमें अनेक तुम्हें षड़यंत्रकारी जातिवादी कहते हैं।
तुमने सर्वधर्म-समभाव की स्थापना हेतु प्राणों की आहुति दी,
आज हम धार्मिक विभेद की स्थापना हेतु
जिहाद करते हैं, प्राणों की आहुति लेते हैं।
पर हम 'मन में राम और बगल में छूरी' रखकर,
झूठ से प्रेम और सत्य से दूरी रखकर,
तुम्हारा गुणगान करेंगे, जनता को बहलाएँगे,
क्योंकि सत्ता से चिपके रहने का तू मंत्र अशेष है।
-महेश चंद्र द्विवेदी
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