मेरी यादों में
भर गया सूरज
रोशनी, रोशनी हुयी
फिर से
चाँदनी, चाँदनी हुयी
फिर से
मन की दहलीज़ पर उजाले का
कोई एक नूर
धर गया सूरज
अब भी चूल्हों में
राख है बाकी
बंद मुट्ठी की
साख है बाकी
लिख के पैगाम
ऐसे कितने ही
दिन के पन्नों पे
धर गया सूरज
मेरी यादों में
भर गया सूरज-
रोहित रूसिया
१२ जनवरी २०१५ |