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आ गयी मकर संक्रांति
 

मौज हुई सबकी
और छायी मस्ती
आ गयी मकर संक्रांति
आस्था के साए में
हर-हर गंगे की धूम मचाते ,
श्रद्धालु लगा रहे डुबकी पर डुबकी ...!!


नयी फसल हो अच्छी
करते प्रार्थना सब किसान
पोंगल, भोगली, या बिहू पर्व
नृत्य के संग
होता उत्सव का रसपान


सृष्टि को करने ऊर्जावान
उत्तरायण चले
भगवान भास्कर
खिचड़ी, तिल-गुड़
स्नान-दान का
है ये विशेष अवसर


देखो ढक गया
उन्मुक्त आसमान
रंग-बिरंगी, छोटी-बड़ी
पतंगों से
ढील दो, ढील दो ...अरे यार ढील दो
कहता बबलू कितनी
उमंगों से


देवताओं का करने सूर्योदय
उत्तरायण हो जाते सूर्य देव
उजालों की धूप में
दिन हुए ख़ूब बड़े
छोटी रात खोल रही
अंधेरो की हार के भेद

- आभा खरे
१२ जनवरी २०१५

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