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          हा! दीवाली


हा! दीवाली
पीड़ा ही पीड़ा दे डाली
जेब भर गयी जो थी खाली

बेच देलियाँ रहीं लड़कियाँ
धुनी रुई ले घूमें डलियाँ
कोई नहीं पूछता उनसे
लूट रहा धन ग्लोबल खुशियाँ
ऑसू से पूजा करवाती
लक्ष्मी कैसी भोली-भाली
हा! दीवाली

श्रम की स्वेद-संपदा महकी
दीप बाल कर बड़की चंहकी
खीलों में बिक गयी दिहाड़ी
आ न सकी छोटू की गाड़ी

तेल चुक गया दीप बुझ गया
दिन फीका था रजनी काली
हा! दीवाली

- वीरेन्द्र आस्तिक
१ नवंबर २०२४
 

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