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          दीपावली मनाएँ


रौशन कर दें सभी दिशाएँ
दीपावली मनाएँ

जलें जब रात अँधेरी में
दीप अनेकों जगमग करते
दूर हो चले तमस हर जगह
फुलझड़ियों के जलते जलते
उत्सव का माहौल बहुत प्रिय
सबके मन हर्षाएँ

भाव भक्ति का है हर मन में
नयी उमंगें चाह नयी है
कदम बढ़ रहे स्नेह हृदय में
नींव पुरानी राह नयी है
भाँति भाँति के पुष्प लिए हम
घर को खूब सजाएँ

माँ लक्ष्मी का पूजन कर लें
घी के दीपक खूब जलाएँ
मिष्ठान्नों का भोग लगाकर
जीभर खाएँ और खिलाएँ
सुख वैभव की करें कामना
सबको गले लगाएँ

हर प्राणी के लिए हृदय में
निश्छल सेवा भाव भरा हो
साथ लिए सबको चलने में
हिचक कहीं भी नहीं जरा हो
हाथ जोड़ यह करें प्रार्थना
मिलकर कदम बढ़ाएँ

- सुरेन्द्रपाल वैद्य

१ नवंबर २०२४
 

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