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          एक दीवाली अभी शेष है


एक दीवाली अभी शेष है
दीप जले उनके भी घरों में
जहाँ खुशहाली अभी शेष है

अँधियारा गहराता जाता
सुखों से भी ना कोई नाता
खाने को भरपेट मिले ना
टूटी थाली अभी शेष है
एक दीवाली

मेहनत हाड़तोड़ करते जो
खेतों में जीवन जीते जो
अन्नदाता का नाम दिया पर
हालत माली अभी शेष है
एक दीवाली

मानव से मानव का छद्म-छल
कितने युगो से जारी निश्चल
बँधा रीतियों-कुरीतियों मे
शोषण जाली अभी शेष है
एक दीवाली

- डॉ रामावतार सागर
१ नवंबर २०२४
 

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