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          दीप आस के


दीपक रोशन हो घर-घर में
लक्ष्मी पूजन हो
घर-घर में

द्वार-देहरी उजले हों और
चेहरों पर मुस्कान रहे
अज्ञानता का मिटे अॅंधेरा
खुशियाँ आयुष्मान रहे
हर हालत में हर मुश्किल में
हँसता आँगन हो
घर-घर में

कामयाब मेहनत हो सबकी
खुशहाली भी पास रहे
अवधपुरी-सा हर एक मन हो
प्रभु का जहाँ निवास रहे
सद्कर्मों का सन्मतियों का
मानस चिंतन हो
घर-घर में

शुभ-मंगल के तोरण द्वारे
जगमग जन-जन की दीवाली
सूखे जीवन में भी आए
त्यौहारों की कुछ हरियाली
दीन-हीन की थाली में भी
पूरा भोजन हो
घर-घर में

- रघुवीर शर्मा
१ नवंबर २०२४
 

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